क्रिकेट को अक्सर बल्लेबाज़ों का खेल कहा जाता है। जब कोई टीम बड़ी साझेदारी या तेज़ रनों की पारी खेलती है, तो आमतौर पर सुर्खियों में आते हैं शीर्ष क्रम के बल्लेबाज़। लेकिन क्रिकेट का असली रोमांच तब दिखता है जब निचले क्रम के खिलाड़ी, खासकर नंबर 10 या 11 पर बल्लेबाज़ी करने वाले, अपनी टीम को मुश्किल हालात से निकालकर नई उम्मीद जगाते हैं।
महिला वनडे क्रिकेट में ऐसी पारियाँ बहुत कम देखने को मिलती हैं, क्योंकि निचले क्रम की बल्लेबाज़ों से आमतौर पर सिर्फ कुछ ओवर टिकने की उम्मीद की जाती है। लेकिन इतिहास ने कई बार यह साबित किया है कि क्रिकेट में कुछ भी असंभव नहीं।
इस लेख में हम बात करेंगे उन 5 महिला खिलाड़ियों की जिन्होंने नंबर 10 पर आकर ऐसी यादगार पारियाँ खेलीं जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन गईं।
1.अलाना किंग (ऑस्ट्रेलिया) – 51 रन (नाबाद)*
विरुद्ध टीम: पाकिस्तान
मैच की तारीख: 8 अक्टूबर 2025

ऑस्ट्रेलिया की स्टार लेग स्पिनर अलाना किंग ने पाकिस्तान के खिलाफ जो पारी खेली, वह महिला वनडे इतिहास के स्वर्णाक्षरों में दर्ज हो चुकी है। नंबर 10 पर बल्लेबाज़ी करते हुए किंग ने नाबाद 51 रन बनाए — जो कि महिला वनडे क्रिकेट में इस क्रम पर सबसे बड़ा स्कोर है।
यह पारी उस समय आई जब ऑस्ट्रेलिया का शीर्ष क्रम बुरी तरह लड़खड़ा गया था। विकेटों की झड़ी लग चुकी थी और टीम मुश्किल स्थिति में थी। ऐसे में किंग ने धैर्य और समझदारी के साथ खेलते हुए निचले क्रम से एक मजबूत साझेदारी बनाई।
उनकी यह पारी केवल रन बनाने के लिए नहीं जानी गई, बल्कि मैच की दिशा बदलने के लिए भी जानी गई। जब पूरी टीम दबाव में थी, तब किंग ने अपने शांत स्वभाव और बेहतरीन तकनीक से रन जुटाए। उन्होंने स्ट्राइक रोटेट करते हुए खुद को क्रीज़ पर जमाए रखा और धीरे-धीरे रन बनाकर ऑस्ट्रेलिया को प्रतिस्पर्धी स्कोर तक पहुँचाया।
यह पारी महिला क्रिकेट में यह संदेश देती है कि प्रतिभा सिर्फ टॉप ऑर्डर तक सीमित नहीं होती। किंग की यह उपलब्धि भविष्य की महिला क्रिकेटरों को यह प्रेरणा देती है कि चाहे आप टीम में किसी भी नंबर पर क्यों न खेलें, अगर आत्मविश्वास और संयम हो तो आप मैच विजेता बन सकते हैं।
2. युलांदी वैन डर मर्वे (दक्षिण अफ्रीका) – 42 रन (नाबाद)*
विरुद्ध टीम: भारत
मैच की तारीख: 30 नवंबर 2000

साल 2000 में खेला गया यह मैच दक्षिण अफ्रीका महिला क्रिकेट इतिहास में यादगार बन गया। युलांदी वैन डर मर्वे, जो मुख्य रूप से एक ऑलराउंडर के रूप में जानी जाती थीं, ने भारत के खिलाफ नंबर 10 पर आकर नाबाद 42 रन की पारी खेली।
उनकी यह पारी उस समय के लिए ऐतिहासिक थी क्योंकि उस दौर में महिला क्रिकेट में निचले क्रम से इतनी बड़ी पारी की कल्पना भी नहीं की जाती थी। दक्षिण अफ्रीका की टीम उस मैच में शुरुआती झटकों से जूझ रही थी। शीर्ष क्रम के बल्लेबाज़ जल्दी-जल्दी आउट हो चुके थे।
ऐसे में वैन डर मर्वे ने खेल को पूरी तरह पढ़ते हुए जिम्मेदारी उठाई। उन्होंने सिंगल-डबल लेकर रन जोड़े और आखिर में कुछ शानदार बाउंड्री लगाकर टीम को सम्मानजनक स्कोर तक पहुँचाया।
उनकी यह पारी लगभग 25 साल तक नंबर 10 पर सबसे बड़ा स्कोर बनी रही। इस पारी की बदौलत दक्षिण अफ्रीका ने मैच में वापसी की और यह साबित किया कि क्रिकेट में हर रन कीमती होता है — चाहे वह किसी भी क्रम से आए।
3. झूलन गोस्वामी (भारत) – 32 रन
विरुद्ध टीम: ऑस्ट्रेलिया
मैच की तारीख: 7 फरवरी 2008

भारत की महान तेज़ गेंदबाज़ झूलन गोस्वामी का नाम क्रिकेट इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। वे सिर्फ गेंदबाज़ी में ही नहीं, बल्कि जरूरत पड़ने पर बल्ले से भी योगदान देने के लिए जानी जाती हैं।
2008 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए वनडे में, झूलन ने नंबर 10 पर उतरकर 32 रन की महत्वपूर्ण पारी खेली। भारत उस समय मुश्किल हालात में था और विकेट लगातार गिर रहे थे। लेकिन झूलन ने समझदारी से खेलते हुए एक उपयोगी साझेदारी बनाई और टीम को सम्मानजनक स्कोर तक पहुँचाया।
उनकी यह पारी दर्शाती है कि सच्चे टीम खिलाड़ी सिर्फ अपनी भूमिका तक सीमित नहीं रहते, बल्कि ज़रूरत पड़ने पर हर जिम्मेदारी निभाते हैं।
झूलन की यह पारी महिला क्रिकेट के लिए प्रेरणा बन गई — खासकर उन युवा गेंदबाज़ों के लिए जो मानते हैं कि उनका काम सिर्फ गेंदबाज़ी तक सीमित है। उन्होंने दिखाया कि जब टीम को जरूरत हो, तो कोई भी खिलाड़ी “ऑलराउंडर” बन सकता है।
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4. अनीसा मोहम्मद (वेस्टइंडीज) – 31 रन
विरुद्ध टीम: ऑस्ट्रेलिया
मैच की तारीख: 12 अक्टूबर 2014

वेस्टइंडीज की अनुभवी स्पिनर अनीसा मोहम्मद का नाम भी इस सूची में शामिल है। ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम के खिलाफ उन्होंने नंबर 10 पर उतरकर 31 रन बनाए, जो उस समय टीम के लिए बेहद अहम साबित हुए।
वेस्टइंडीज की टीम उस मैच में 100 रन के अंदर ही छह विकेट गंवा चुकी थी। दबाव के माहौल में अनीसा ने शानदार संयम दिखाया। उन्होंने अपनी पारी को योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ाया और साझेदारी करते हुए स्कोरबोर्ड को गति दी।
अनीसा की यह पारी इस बात की मिसाल है कि जब खिलाड़ी टीम के लिए “फाइटिंग स्पिरिट” के साथ उतरता है, तो परिस्थिति चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हो, नतीजे बदल सकते हैं।
उनकी यह पारी सिर्फ रन के लिहाज़ से नहीं, बल्कि जज़्बे के लिहाज़ से भी बेमिसाल रही। उन्होंने यह दिखाया कि महिला क्रिकेट में निचले क्रम की बल्लेबाज़ी भी मैच की तस्वीर बदल सकती है।
5. शमिलिया कॉनेल (वेस्टइंडीज) – 27 रन
विरुद्ध टीम: न्यूज़ीलैंड
मैच की तारीख: 24 फरवरी 2017

वेस्टइंडीज की तेज़ गेंदबाज़ शमिलिया कॉनेल ने 2017 में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ 27 रन की संघर्षपूर्ण पारी खेली। यह पारी उस मैच का टर्निंग पॉइंट साबित हुई, क्योंकि वेस्टइंडीज उस समय एकदम बैकफुट पर था।
कॉनेल ने पूरी हिम्मत के साथ गेंदबाज़ी के बाद बल्लेबाज़ी में भी योगदान दिया। उन्होंने रन बनाने के साथ-साथ साझेदारी पर ध्यान दिया, ताकि टीम की पारी लंबी चल सके।
उनकी यह पारी क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह सीख छोड़ती है कि मानसिक मज़बूती और खेल की समझ किसी भी खिलाड़ी को नायक बना सकती है। कॉनेल ने साबित किया कि टीम के लिए खेलना ही असली क्रिकेट का सार है।
नंबर 10 पर दिखाया दम: जब निचले क्रम की बल्लेबाज़ों ने महिला वनडे क्रिकेट में रचा इतिहास”
महिला वनडे क्रिकेट में नंबर 10 बल्लेबाज़ से आमतौर पर बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं की जाती। टीम मैनेजमेंट का ध्यान शीर्ष और मध्य क्रम के खिलाड़ियों पर रहता है। लेकिन जब हालात कठिन हों और टीम संकट में हो, तब निचले क्रम के खिलाड़ियों की भूमिका निर्णायक बन जाती है।
अलाना किंग, युलांदी वैन डर मर्वे, झूलन गोस्वामी, अनीसा मोहम्मद, और शमिलिया कॉनेल की पारियों ने यह साबित किया कि महिला क्रिकेट में हर खिलाड़ी महत्वपूर्ण है।
इन पारियों ने न केवल रन बनाए बल्कि मानसिक मजबूती, जिम्मेदारी और टीम भावना की मिसाल पेश की। इन खिलाड़ियों ने यह दिखाया कि चाहे बल्लेबाज़ी क्रम कोई भी हो, अगर दिल में जीत का जज़्बा है, तो इतिहास रचा जा सकता है।
भविष्य में जब भी महिला क्रिकेट की बात होगी, तो इन निचले क्रम की यादगार पारियों का ज़िक्र ज़रूर किया जाएगा — क्योंकि असली नायक वही होते हैं जो संकट में टीम का साथ नहीं छोड़ते, बल्कि उम्मीद की लौ जलाए रखते हैं।





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